आख़िरी बार
कब देखा था
तुमने उसे
या फिर उसने तुम्हें
ठीक से सोच कर बताओ
अगर नहीं मालूम
तो पूछ लेना उसे
वह सब याद रखता है
मुस्कराता चेहरा हो
या रोता हुआ
खुद से नाराजगी हो
या किसी और से
मौसम की मार हो
या किसी की याद
उसे देखोगे तो
याद आ जायेगा
तुम्हें सब-कुछ |
आख़िरी बार कब
आख़िरी बार
कब देखा था
तुमने उसे
या फिर उसने तुम्हें
ठीक से सोच कर बताओ
अगर नहीं मालूम
तो पूछ लेना उसे
वह सब याद रखता है
मुस्कराता चेहरा हो
या रोता हुआ
खुद से नाराजगी हो
या किसी और से
मौसम की मार हो
या किसी की याद
उसे देखोगे तो
याद आ जायेगा
तुम्हें सब-कुछ |
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की कविता
इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें