आंखों में बसना ठीक नहीं ख्वाबों में मिलना ठीक नहीं आओं तो तुम दिन में आओं रातों में मिलना ठीक नहीं समझाया कितनी बार तुझे कांटों पे चलना ठीक नहीं आग, आग है लग जाएगी दामन में भरना ठीक नहीं त्यौरी में डाला बल बोले आ जाना वरना ठीक नहीं हो जाओगे बेकार कहीं यूं आंहे भरना ठीक नहीं – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आंखों में बसना ठीक नहीं
आंखों में बसना ठीक नहीं
ख्वाबों में मिलना ठीक नहीं
आओं तो तुम दिन में आओं
रातों में मिलना ठीक नहीं
समझाया कितनी बार तुझे
कांटों पे चलना ठीक नहीं
आग, आग है लग जाएगी
दामन में भरना ठीक नहीं
त्यौरी में डाला बल बोले
आ जाना वरना ठीक नहीं
हो जाओगे बेकार कहीं
यूं आंहे भरना ठीक नहीं
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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