आप जैसी जो पाई ना नज़र फितरते दुनियां आई ना नज़र यूं रहे सब के ग़म में मुबतिला देख कर जो बल खाई ना नज़र राज़ अब जाना क्यूं महफूज हो आप रखते हो आईना नज़र हो गये वैसे जो जैसा मिला सिफ़्त वो अपनी लाई ना नज़र नज़र में जिनकी बेगाने नहीं इस जहां को वो भायी ना नज़र – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आप जैसी जो पाई ना नज़र
आप जैसी जो पाई ना नज़र
फितरते दुनियां आई ना नज़र
यूं रहे सब के ग़म में मुबतिला
देख कर जो बल खाई ना नज़र
राज़ अब जाना क्यूं महफूज हो
आप रखते हो आईना नज़र
हो गये वैसे जो जैसा मिला
सिफ़्त वो अपनी लाई ना नज़र
नज़र में जिनकी बेगाने नहीं
इस जहां को वो भायी ना नज़र
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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