एक बार मरना भी, क्या कोई मरना है दूर हो के उनसे, क्या हम ज़िंदा है मौत जब तक हमें नहीं आती हर साँस एक क़ैद परिंदा है आज उनके हम कुछ नहीं लगते जो कभी साँसों में हमें बसाते थे आज भी सांसें तो ज़रूर लेते होंगे बस किसी और को उन में बसाते होंगे – एकता खान एकता खान जी की अधूरे प्यार पर कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
एक बार मरना भी
एक बार मरना भी, क्या कोई मरना है
दूर हो के उनसे, क्या हम ज़िंदा है
मौत जब तक हमें नहीं आती
हर साँस एक क़ैद परिंदा है
आज उनके हम कुछ नहीं लगते
जो कभी साँसों में हमें बसाते थे
आज भी सांसें तो ज़रूर लेते होंगे
बस किसी और को उन में बसाते होंगे
– एकता खान
एकता खान जी की अधूरे प्यार पर कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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