अन्न का भंडार फूलों की बहार नव कोपलें फूट रही नव वर्ष का संचार खेतों की फसल खुली तिजोरी बेईमान मौसम करता सीनाजोरी बाजार का हाल बड़ा बेहाल बिकता विज्ञापन घटिया माल झड़े पात छूटा साथ कोपलें फूटी नव प्रभात दुखी गरीब है मरीज़ मांगता इलाज मौत नसीब पुलिस का डंडा निर्दोष का फंदा अपराधी बेखौफ कहते धंदा जंगल की आग पागल बाघ कहाँ छुपता है दामन का दाग बैंक का पैसा दान जैसा मौज़ मनाओ फिर उड़ जाओ –एस डी मठपाल एस डी मठपाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
अन्न का भंडार
अन्न का भंडार
फूलों की बहार
नव कोपलें फूट रही
नव वर्ष का संचार
खेतों की फसल
खुली तिजोरी
बेईमान मौसम
करता सीनाजोरी
बाजार का हाल
बड़ा बेहाल
बिकता विज्ञापन
घटिया माल
झड़े पात
छूटा साथ
कोपलें फूटी
नव प्रभात
दुखी गरीब
है मरीज़
मांगता इलाज
मौत नसीब
पुलिस का डंडा
निर्दोष का फंदा
अपराधी बेखौफ
कहते धंदा
जंगल की आग
पागल बाघ
कहाँ छुपता है
दामन का दाग
बैंक का पैसा
दान जैसा
मौज़ मनाओ
फिर उड़ जाओ
–एस डी मठपाल
एस डी मठपाल जी की रचनाएँ
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