अपने दीवान से भला ना हमारा होगा इसके हर शेर से गुजारा तुम्हारा होगा दुनिया बाज़ार है खरीददार होती हर शय मोती होंगे वही कि जिनको पुकारा होगा मैंने हर सांस पे गमों के समन्दर पाए मुझको मझधार सा लगा पर किनारा होगा देखो ना पारसा हमें रिन्द बना कर हरदम हमको भी यार उस खुदा ने उतारा होगा – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
अपने दीवान से भला ना हमारा होगा
अपने दीवान से भला ना हमारा होगा
इसके हर शेर से गुजारा तुम्हारा होगा
दुनिया बाज़ार है खरीददार होती हर शय
मोती होंगे वही कि जिनको पुकारा होगा
मैंने हर सांस पे गमों के समन्दर पाए
मुझको मझधार सा लगा पर किनारा होगा
देखो ना पारसा हमें रिन्द बना कर हरदम
हमको भी यार उस खुदा ने उतारा होगा
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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