अपने को आकाश रख, रख आँखें तू चार सबसे तू सम्बन्ध रख कैसे होगी हार कोयल कूके डाल पर हँसता फूल पलास जल्दी घर आ साजना तड़फाये मधुमास गेहूँ की बाली हँसी हँसने लगा पलास महुआ पी मदमा रहा मौसम ये मधुमास पिली सरसों हँस रही झूमा आज पलास देख धरा दुल्हन बनी बौराया मधुमास सोच समझ कर ही करो उनसे आज सवाल खड़ा न हो जाये कहीं कोई बड़ा बवाल किससे जाकर हम कहें अपने हिय की बात अपनों से ही कर रहे लोग यहाँ जब घात बिटिया घर क्या आ गयी चहुँ दिश हुआ उजास अब मनवा विचलित नहीं कोई नहीं उदास – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
अपने को आकाश रख
अपने को आकाश रख, रख आँखें तू चार
सबसे तू सम्बन्ध रख कैसे होगी हार
कोयल कूके डाल पर हँसता फूल पलास
जल्दी घर आ साजना तड़फाये मधुमास
गेहूँ की बाली हँसी हँसने लगा पलास
महुआ पी मदमा रहा मौसम ये मधुमास
पिली सरसों हँस रही झूमा आज पलास
देख धरा दुल्हन बनी बौराया मधुमास
सोच समझ कर ही करो उनसे आज सवाल
खड़ा न हो जाये कहीं कोई बड़ा बवाल
किससे जाकर हम कहें अपने हिय की बात
अपनों से ही कर रहे लोग यहाँ जब घात
बिटिया घर क्या आ गयी चहुँ दिश हुआ उजास
अब मनवा विचलित नहीं कोई नहीं उदास
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें