होने को मशहूर हुए हैं अपनो से ही दूर हुए हैं थी मजबूरी थाम सके न अच्छे दिन काफ़ूर हुए हैं घर की क़ीमत जाने वो ही घर से जो भी दूर हुए हैं दौलत शोहरत सर चढ़ बोले रिश्ते सब नासूर हुए हैं नशा उमर का उतरा जब है मन्ज़र सब बेनूर हुए हैं भूलेंगे हम देखो ‘निशा’ सब आज बहुत मजबूर हुए हैं –डॉ. नसीमा ‘निशा’ डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
होने को मशहूर हुए हैं
होने को मशहूर हुए हैं
अपनो से ही दूर हुए हैं
थी मजबूरी थाम सके न
अच्छे दिन काफ़ूर हुए हैं
घर की क़ीमत जाने वो ही
घर से जो भी दूर हुए हैं
दौलत शोहरत सर चढ़ बोले
रिश्ते सब नासूर हुए हैं
नशा उमर का उतरा जब है
मन्ज़र सब बेनूर हुए हैं
भूलेंगे हम देखो ‘निशा’ सब
आज बहुत मजबूर हुए हैं
–डॉ. नसीमा ‘निशा’
डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल
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