Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • आईने पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    आइना सच बोलता है

    आइना सच बोलता है राज़ सबके खोलता है जानता जब कुछ नहीं तो बीच में क्यों बोलता है फायदा जब [...] More
  • विवाह शादी इश्तिहार हो गये है

    विवाह शादी इश्तिहार हो गये है रिश्ते नाते सब व्यापार हो गये है। वृद्धाश्रम मे रहने की हमे दी सज़ा, [...] More
  • ज़माने पर कविता, पी एल बामनिया

    साए को तरसता

    साए को तरसता शज़र देखा, कतरे को मचलता समंदर देखा। गुज़रे जमाने का ज़खीरा मिला, झाँक कर जब खुद के [...] More
  • चल साँझ हो गई है

    चल साँझ हो गई है निकले गगन पे तारे मझधार में सफ़ीना माझी लगा किनारे इतने बड़े जहाँ में है [...] More
  • बरसा नहीं निकल गया

    बरसा नहीं निकल गया, जुल्मी बादल मीत क्या इसे अब नहीं रही, धरती माँ से प्रीत मत तड़फा ऐसे हमें, [...] More
  • मेघा पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    मेघा रे मेघा

    मेघा रे मेघा, तु जम के बरस जा रे प्यासी धरती को भीगो के जा रे। रीते है सभी देख [...] More
  • पहले से जल रही है

    पहले से जल रही है यह धरा ईष्या, द्वेष की अग्नि से धरा तु नभ से और अँगारे न बरसा [...] More
  • दर्पण पर कविता, अवधेश कुमार 'अवध'

    दर्पण की व्यथा

    जो जैसा मेरे दर आता। ठीक हूबहू खुद को पाता।। फिर मुझपर आरोप लगाता। पक्षपात कह गाल बजाता।। मैं हँसता [...] More
  • जीवन सफल बनाएगा

    नारी का मुश्किल जीवन नर का सामर्थ्य बढ़ाएगा, सहनशक्ति की सबल मूर्ति से कौन भला टकराएगा। कभी सफलता को पाकर [...] More
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