बच्चों को भी भूख लगे तो हल्ला करते । पशु-पक्षी भी प्रात काल उठ श्रम पर मरते ।। जग के सारे सचर-अचर श्रम में हैं आतुर । चाहें हों अति मूढ़ या कि बढ़कर बहु चातुर ।। सबकी अपनी ताल, सभी के सुर हैं अपने । क्षमता के अनुसार, सभी के अपने सपने ।। श्रम ही स्वप्न सुमार्ग, इसी पथ जाना होगा । अवध न जाए हार, अवधपति! आना होगा ।। – अवधेश कुमार ‘अवध’ अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बच्चों को भी भूख लगे
बच्चों को भी भूख लगे तो हल्ला करते ।
पशु-पक्षी भी प्रात काल उठ श्रम पर मरते ।।
जग के सारे सचर-अचर श्रम में हैं आतुर ।
चाहें हों अति मूढ़ या कि बढ़कर बहु चातुर ।।
सबकी अपनी ताल, सभी के सुर हैं अपने ।
क्षमता के अनुसार, सभी के अपने सपने ।।
श्रम ही स्वप्न सुमार्ग, इसी पथ जाना होगा ।
अवध न जाए हार, अवधपति! आना होगा ।।
– अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता
अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ
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