बुरा न मानो होली है जोगीरा सरररररररर। जोगीरा सरररररररर बुरा न मानो होली है। बामनिया हंसने लगे सराफ ढोल बजाने लगे। मठपाल का देख मजीरा सागर लहराने लगे। प्रेम भंडारी गुप्तेश्वरजी रौशन करें जहान। बुरा न मानो मेरे विनय जी होली है विहान। मलती गुलाल हेमा शिल्पी के गाल पे। मधुजी रंग लगावें प्रीता जी के गाल पे। आशा ओझा और शीतल पिचकारी लेके घूमें। डॉक्टर कुमुदिनी और स्वाति भागी भागी फिरें। समझ न आवें काले गोरे चेहरे जो हैं लाल नसीर। आइना लिये उदयपुरी दिखायें नाच नाच के घूमें। शंभूदत्त और मधुसूदन गावें होली गीत। प्रांजल और हमीद की बनी रहे यह प्रीत। मानिक आय॔ अरूण त्रिपाठी तुरही बोल सुनावें। केतन पंड्या बिलाल शाद नगाड़ा खूब बजावें। होली के रंग में देख लो मज़ा भंग में । ढंढई छाने इकबाल जगदीश संग में । अनीता गरिमा आपसी प्यार निभावें नसीर। रेनूसिरोया गीत गाकर सबको बनायें मीत। होली का देख नजारा थाली लिए अबीर गुलाल। आसमा एकता संगीता टीका लगावें लाल लाल। धरती अम्बर में उड़े अब रंग अबीर-गुलाल नसीर। चहुंओर देखो किरन बाला यह होली का त्योहार। कवि कवयित्री शायर जिनका नाम न ले पाया। बुरा न मानो होली है भाई भांग खाकर भुलाया। नाम उनका आयेगा पहले करता है वादा नसीर। खुलकर होली में हंसे याद में आये प्यार निभाया। होली गीत गावें सबको गले लगावें नसीर। जोगीरा सरररररररर जोगीरा सरररररररर। – ‘नसीर’ बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बुरा न मानो होली है
बुरा न मानो होली है जोगीरा सरररररररर।
जोगीरा सरररररररर बुरा न मानो होली है।
बामनिया हंसने लगे सराफ ढोल बजाने लगे।
मठपाल का देख मजीरा सागर लहराने लगे।
प्रेम भंडारी गुप्तेश्वरजी रौशन करें जहान।
बुरा न मानो मेरे विनय जी होली है विहान।
मलती गुलाल हेमा शिल्पी के गाल पे।
मधुजी रंग लगावें प्रीता जी के गाल पे।
आशा ओझा और शीतल पिचकारी लेके घूमें।
डॉक्टर कुमुदिनी और स्वाति भागी भागी फिरें।
समझ न आवें काले गोरे चेहरे जो हैं लाल नसीर।
आइना लिये उदयपुरी दिखायें नाच नाच के घूमें।
शंभूदत्त और मधुसूदन गावें होली गीत।
प्रांजल और हमीद की बनी रहे यह प्रीत।
मानिक आय॔ अरूण त्रिपाठी तुरही बोल सुनावें।
केतन पंड्या बिलाल शाद नगाड़ा खूब बजावें।
होली के रंग में देख लो मज़ा भंग में ।
ढंढई छाने इकबाल जगदीश संग में ।
अनीता गरिमा आपसी प्यार निभावें नसीर।
रेनूसिरोया गीत गाकर सबको बनायें मीत।
होली का देख नजारा थाली लिए अबीर गुलाल।
आसमा एकता संगीता टीका लगावें लाल लाल।
धरती अम्बर में उड़े अब रंग अबीर-गुलाल नसीर।
चहुंओर देखो किरन बाला यह होली का त्योहार।
कवि कवयित्री शायर जिनका नाम न ले पाया।
बुरा न मानो होली है भाई भांग खाकर भुलाया।
नाम उनका आयेगा पहले करता है वादा नसीर।
खुलकर होली में हंसे याद में आये प्यार निभाया।
होली गीत गावें सबको गले लगावें नसीर।
जोगीरा सरररररररर जोगीरा सरररररररर।
– ‘नसीर’ बनारसी
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ
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