• विवाह शादी इश्तिहार हो गये है

    विवाह शादी इश्तिहार हो गये है रिश्ते नाते सब व्यापार हो गये है। वृद्धाश्रम मे रहने की हमे दी सज़ा, [...] More
  • चल साँझ हो गई है

    चल साँझ हो गई है निकले गगन पे तारे मझधार में सफ़ीना माझी लगा किनारे इतने बड़े जहाँ में है [...] More
  • हमने अर्पण किया

    हमने अर्पण किया जान तन आप पर । आ गया है हमारा ये मन आप पर । इक झलक पर [...] More
  • हादसों पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    छोड़ो हमारा साथ

    छोड़ो हमारा साथ जो तुमको बुरा लगे । वो साथ कैसा साथ जो मिलकर जुदा लगे । था मुद्दतों का [...] More
  • अजब मौजे तूफ़ान

    अजब मौजे तूफ़ान के वलवले हैं । नदी की अगन से किनारे जले हैं । दहकते बदन से डरे कब [...] More
  • ख्वाब पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    वो जफ़ा थी या वफ़ा

    वो जफ़ा थी या वफ़ा भूल गए हैं अब तक । आप क्यूँ जाने उसे याद रखे हैं अब तक [...] More
  • ज़िंदगी पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    अब अंधेरा नहीं

    अब अंधेरा नहीं रौशनी चाहिए खेलती कूदती ज़िन्दगी चाहिए हम रहें प्यार से प्यार सब से करें दुश्मनी अब नहीं [...] More
  • साथ चाहिए पर ग़ज़ल, शाद उदयपुरी

    भूलकर हर अलम

    भूलकर हर अलम अब ख़ुशी चाहिये बस ख़ुशी से भरी ज़िन्दगी चाहिये भूल बैठा हूँ आलम को तेरे लिए इस [...] More
  • मेहनत पर ग़ज़ल, शाद उदयपुरी

    लड़ ज़माने से

    लड़ ज़माने से जिगर पैदा कर मेहनत करके हुनर पैदा कर मंज़िलें तुझको मिलेंगी आख़िर हिम्मतों से वो डगर पैदा [...] More
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