बड़ी बड़ी ना बात कर और न ऊँची फेंख खींच सके तो खींच दे उससे लम्बी रेख नाच रहा हर आदमी गन्दा हो या नेक वक़्त और हालात के आगे घुटने टेक इन्तज़ार करता नहीं वक़्त किसी का यार हमको करना चाहिए वक़्त का इन्तज़ार उसकी ही होती सदा, भाई! दुआ कबूल सपने में भी जो कभी बोता नहीं बबूल तोड़ दिया विश्वास का जब तूने घर-दावर फिर कैसे करता भला ये जग तुझको प्यार जीवन भर सोया रहा किया नहीं कुछ काम देखे दुष्परिणाम जब याद आ रहा राम वीर सदा पैदा हुए जिस धरती पर मीट भूल न उस चितौड़ को उस पर लिख तू गीत – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की गीत जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बड़ी बड़ी ना बात कर
बड़ी बड़ी ना बात कर और न ऊँची फेंख
खींच सके तो खींच दे उससे लम्बी रेख
नाच रहा हर आदमी गन्दा हो या नेक
वक़्त और हालात के आगे घुटने टेक
इन्तज़ार करता नहीं वक़्त किसी का यार
हमको करना चाहिए वक़्त का इन्तज़ार
उसकी ही होती सदा, भाई! दुआ कबूल
सपने में भी जो कभी बोता नहीं बबूल
तोड़ दिया विश्वास का जब तूने घर-दावर
फिर कैसे करता भला ये जग तुझको प्यार
जीवन भर सोया रहा किया नहीं कुछ काम
देखे दुष्परिणाम जब याद आ रहा राम
वीर सदा पैदा हुए जिस धरती पर मीट
भूल न उस चितौड़ को उस पर लिख तू गीत
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की गीत
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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