मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ दिल से सुनिए सुनाई देता हूँ तोड़ लाये हैं आज तारे वो दिल से उनको बधाई देता हूँ जर्रे जर्रे में हूँ समाया हुआ दिल से देखें दिखाई देता हूँ मिलिए हमसे तो एक पल के लिये दिल से ये ही दुहाई देता हूँ झूठे वादे किए थे दिलबर ने फिर भी मैं ही सफ़ाई देता हूँ – शाद उदयपुरी शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल शाद उदयपुरी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ
मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ
दिल से सुनिए सुनाई देता हूँ
तोड़ लाये हैं आज तारे वो
दिल से उनको बधाई देता हूँ
जर्रे जर्रे में हूँ समाया हुआ
दिल से देखें दिखाई देता हूँ
मिलिए हमसे तो एक पल के लिये
दिल से ये ही दुहाई देता हूँ
झूठे वादे किए थे दिलबर ने
फिर भी मैं ही सफ़ाई देता हूँ
– शाद उदयपुरी
शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल
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