कविता सरस्वती की कुपा की अमोघ शक्ति
इसमें कृपाण की सी धार होनी चाहिए |
छिन्न-भिन्न कर दे कुरीतियों के संस्कार
जाति पाँति पर इसे प्रहार होनी चाहिये |
ज्ञान का स्फुलिंग देश धर्म का सुधार करे
जन-जागरण की पुकार होनी चाहिये |
एकता अखण्डता औ समता प्रवाहित हो
प्रीति रीति नीति सूत्र-धार होनी चाहिए ||
कविता में देश-धर्म जाति की महानता हो
बीरों की प्रशस्ति-जयगान होना चाहिये
एक एक बूंद रक्त देश हित बहाते रहे
बलिदानी बीरों का मान होना चाहिये |
साधन विपन्नता से जूझते रहे जो लोग
ऐसे पूर्वजों का गुण गान होना चाहिये
शिवि हों दधीच या कि दानी कर्ण हरिश्चन्द्र
त्याग मूर्तियों का सम्मान होना चहिये |
कविता सरस्वती की कुपा
कविता सरस्वती की कुपा की अमोघ शक्ति
इसमें कृपाण की सी धार होनी चाहिए |
छिन्न-भिन्न कर दे कुरीतियों के संस्कार
जाति पाँति पर इसे प्रहार होनी चाहिये |
ज्ञान का स्फुलिंग देश धर्म का सुधार करे
जन-जागरण की पुकार होनी चाहिये |
एकता अखण्डता औ समता प्रवाहित हो
प्रीति रीति नीति सूत्र-धार होनी चाहिए ||
कविता में देश-धर्म जाति की महानता हो
बीरों की प्रशस्ति-जयगान होना चाहिये
एक एक बूंद रक्त देश हित बहाते रहे
बलिदानी बीरों का मान होना चाहिये |
साधन विपन्नता से जूझते रहे जो लोग
ऐसे पूर्वजों का गुण गान होना चाहिये
शिवि हों दधीच या कि दानी कर्ण हरिश्चन्द्र
त्याग मूर्तियों का सम्मान होना चहिये |
– देवेन्द्र कुमार सिंह ‘दद्दा’
देवेंद्र कुमार सिंह दद्दा जी की कविता
देवेंद्र कुमार सिंह दद्दा जी की रचनाएँ
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