फ़ासला मंज़िले -मक़सूद हमेशा की तरह दिल में होती है उछल कूद हमेशा की तरह इक नज़र देख लिया नाज़ो-अदा से उसने जल उठी फिर.कहीं बारूद हमेशा की तरह जब भी देखा है किसी सम्त उठा कर नज़रें दूर तक आप हैं मौजूद हमेशा की तरह जो भी आया हमें अपनी ही सुनाता आया कोई मिलता नहीं बेसूद हमेशा की तरह इस नये दौर के बच्चों का मुक़द्दर देखो माँ पिलाती ही नहीं दूद हमेशा की तरह हम चराग़ों की हिफ़ाज़त भी कहाँ तक करते सामने आप थे मौजूद हमेशा की तरह इसलिये और भी आगे न बढ़े हम साग़र दायरा अपना है महदूद हमेशा की तरह –विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की ग़ज़ल विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
फ़ासला मंज़िले -मक़सूद हमेशा की तरह
फ़ासला मंज़िले -मक़सूद हमेशा की तरह
दिल में होती है उछल कूद हमेशा की तरह
इक नज़र देख लिया नाज़ो-अदा से उसने
जल उठी फिर.कहीं बारूद हमेशा की तरह
जब भी देखा है किसी सम्त उठा कर नज़रें
दूर तक आप हैं मौजूद हमेशा की तरह
जो भी आया हमें अपनी ही सुनाता आया
कोई मिलता नहीं बेसूद हमेशा की तरह
इस नये दौर के बच्चों का मुक़द्दर देखो
माँ पिलाती ही नहीं दूद हमेशा की तरह
हम चराग़ों की हिफ़ाज़त भी कहाँ तक करते
सामने आप थे मौजूद हमेशा की तरह
इसलिये और भी आगे न बढ़े हम साग़र
दायरा अपना है महदूद हमेशा की तरह
–विनय साग़र जायसवाल
विनय साग़र जायसवाल जी की ग़ज़ल
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