दिल में तेरे समा सकूँ वो एहसास बनना चाहती हूँ होठों को तेरे सजा सकूँ वो मुस्कान बनना चाहती हूँ गीत जो तू गुनगुना सके वो ग़ज़ल बनना चाहती हूँ आँखें तेरी पढ़ सकूँ वो हमदर्द बनना चाहती हूँ ख़ुशियाँ तेरे आँगन बरसे ये दुआ ख़ुदा से चाहती हूँ – एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
दिल में तेरे समा सकूँ
दिल में तेरे समा सकूँ
वो एहसास बनना चाहती हूँ
होठों को तेरे सजा सकूँ
वो मुस्कान बनना चाहती हूँ
गीत जो तू गुनगुना सके
वो ग़ज़ल बनना चाहती हूँ
आँखें तेरी पढ़ सकूँ
वो हमदर्द बनना चाहती हूँ
ख़ुशियाँ तेरे आँगन बरसे
ये दुआ ख़ुदा से चाहती हूँ
– एकता खान
एकता खान जी की कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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