उसके वहमो गुमान में रहना हर घड़ी इम्तिहान में रहना बनके बादल किसी की यादॊ का फ़िक़्र के आसमान मे रहना दुश्मनी क्यों किसी से हम रक्खे कब तलक है जहान में रहना रूह भी चाहती है आज़ादी क्यों बदन के मक़ान में रहना करके एहसान जो जताते हैं क्यों समझते हैं शान में रहना तू तो सूरज है रौशनी देकर तुझे हर घड़ी है ढालान में रहना जानते हैं कि दुनिया फ़ानी है क्यों यहाँ आन-बान में रहना पर क़तर जायें फ़िर भी ‘निशा’ हौसलो से उड़ान में रहना –डॉ. नसीमा ‘निशा’ डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
उसके वहमो गुमान में रहना
उसके वहमो गुमान में रहना
हर घड़ी इम्तिहान में रहना
बनके बादल किसी की यादॊ का
फ़िक़्र के आसमान मे रहना
दुश्मनी क्यों किसी से हम रक्खे
कब तलक है जहान में रहना
रूह भी चाहती है आज़ादी
क्यों बदन के मक़ान में रहना
करके एहसान जो जताते हैं
क्यों समझते हैं शान में रहना
तू तो सूरज है रौशनी देकर
तुझे हर घड़ी है ढालान में रहना
जानते हैं कि दुनिया फ़ानी है
क्यों यहाँ आन-बान में रहना
पर क़तर जायें फ़िर भी ‘निशा’
हौसलो से उड़ान में रहना
–डॉ. नसीमा ‘निशा’
डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल
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