एक सपना बुना था उसने मुझे बताये बिना मेरे होने में अपने होने का जबकि मैं अपने होने को तलाशता रहा उसके होने में अपने न होने की बेचैनी के साथ | – इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
एक सपना बुना था उसने
एक सपना बुना था उसने
मुझे बताये बिना
मेरे होने में
अपने होने का
जबकि मैं
अपने होने को
तलाशता रहा
उसके होने में
अपने न होने की
बेचैनी के साथ |
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की कविता
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