कहीं कुछ भी नहीं है जान लो भाईयों जीना है मुकद्दर यह मान लो भाईयों खाली हाथ आये थे और जाना भी है बची है बीच की दूरी मान लो भाईयों एकता की बात सुनते आ रहे यही एक कथन सुनते आ रहे किस तरह खुशहाल हो अपना वतन युग-युग से यही सुनते आ रहे आओ प्यार की श्रृंखला बनायें प्यार को जियें और प्यार को अपनायें प्यार में पल-पल संजोना जान लें ‘नसीर’ संवरती रहे सबकी ज़िन्दगी यही करके दिखायें – नसीर बनारसी नसीर बनारसी जी की एकता पर कविता [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आओ प्यार की श्रृंखला बनायें
कहीं कुछ भी नहीं है जान लो भाईयों
जीना है मुकद्दर यह मान लो भाईयों
खाली हाथ आये थे और जाना भी है
बची है बीच की दूरी मान लो भाईयों
एकता की बात सुनते आ रहे
यही एक कथन सुनते आ रहे
किस तरह खुशहाल हो अपना वतन
युग-युग से यही सुनते आ रहे
आओ प्यार की श्रृंखला बनायें
प्यार को जियें और प्यार को अपनायें
प्यार में पल-पल संजोना जान लें ‘नसीर’
संवरती रहे सबकी ज़िन्दगी यही करके दिखायें
– नसीर बनारसी
नसीर बनारसी जी की एकता पर कविता
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