ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत होती ना ये दुनिया मीत झूठे रिश्ते झूठे लोग झूठी इनकी सारी प्रीत अब समझे हम जीवन को समय गया जब सारा बीत और डराएं उसको लोग जो जितना होता भयभीत दिन भी जलता जलती रात जलते बीते सावन शीत समय बड़ा विषदंती है तेरा है ना मेरा मीत भोले निकले तुम इक़बाल समझे ना इस जग की रीत – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत
ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत
होती ना ये दुनिया मीत
झूठे रिश्ते झूठे लोग
झूठी इनकी सारी प्रीत
अब समझे हम जीवन को
समय गया जब सारा बीत
और डराएं उसको लोग
जो जितना होता भयभीत
दिन भी जलता जलती रात
जलते बीते सावन शीत
समय बड़ा विषदंती है
तेरा है ना मेरा मीत
भोले निकले तुम इक़बाल
समझे ना इस जग की रीत
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
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