लोग जो हालात से डर जायेंगे जिंदगी होते हुए मर जायेंगे ख़ून-ए-दिल से करके हम रौशन चिराग़ हर डगर में रौशनी भर जायेंगे बाब जो बन जायेंगे तारीख़ का काम कुछ ऐसे भी हम कर जायेंगे क्या ख़बर थी आज इस महफ़िल से हम लेके इक इल्ज़ाम, सर पर जायेंगे शेहरे-जुल्मत मेँ जो आ पहुँचे हें हम करके हर मेहफ़िल मुनव्वर जायेंगे आ के फिर खुशबू के ताजिर बाग़ में शाख़ से लेकर गुलेतर जायेंगे आये मयख़ाने में ‘सागर’ शाम से रात के पिछले पहर घर जायेंगे – डॉ. इक़बाल ‘सागर’ डॉ. इक़बाल 'सागर' जी की ग़ज़ल [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
लोग जो हालात से डर जायेंगे
लोग जो हालात से डर जायेंगे
जिंदगी होते हुए मर जायेंगे
ख़ून-ए-दिल से करके हम रौशन चिराग़
हर डगर में रौशनी भर जायेंगे
बाब जो बन जायेंगे तारीख़ का
काम कुछ ऐसे भी हम कर जायेंगे
क्या ख़बर थी आज इस महफ़िल से हम
लेके इक इल्ज़ाम, सर पर जायेंगे
शेहरे-जुल्मत मेँ जो आ पहुँचे हें हम
करके हर मेहफ़िल मुनव्वर जायेंगे
आ के फिर खुशबू के ताजिर बाग़ में
शाख़ से लेकर गुलेतर जायेंगे
आये मयख़ाने में ‘सागर’ शाम से
रात के पिछले पहर घर जायेंगे
– डॉ. इक़बाल ‘सागर’
डॉ. इक़बाल 'सागर' जी की ग़ज़ल
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें