हाँ तुम्हारे दिल में भी ये आग जलनी चाहिए अब हमारे देश की सूरत बदलनी चाहिए दुश्मनों की चाल को नाकाम कर दे जो सदा देश पर आयी बलाएं देख टलनी चाहिए महफिलों में मैं अकेला ही यहाँ रहने लगा अब यहाँ मेरी कमी भी यार खलनी चाहिए हो रहा बदहाल क्यूँ ये देश मेरा तुम कहो क्या हुआ ये सोच कर ही बात खलनी चाहिए है सुई का काम जो तलवार से होता नहीं गर पकड़ना है यहाँ चिड़िया तो ललनी चाहिए शाद ही है हर जगह क्यूँ ढूंढते हो हर घड़ी इस फिजा में भी हवा ऐसी ही चलनी चाहिए – शाद उदयपुरी शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल शाद उदयपुरी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
हाँ तुम्हारे दिल में भी
हाँ तुम्हारे दिल में भी ये आग जलनी चाहिए
अब हमारे देश की सूरत बदलनी चाहिए
दुश्मनों की चाल को नाकाम कर दे जो सदा
देश पर आयी बलाएं देख टलनी चाहिए
महफिलों में मैं अकेला ही यहाँ रहने लगा
अब यहाँ मेरी कमी भी यार खलनी चाहिए
हो रहा बदहाल क्यूँ ये देश मेरा तुम कहो
क्या हुआ ये सोच कर ही बात खलनी चाहिए
है सुई का काम जो तलवार से होता नहीं
गर पकड़ना है यहाँ चिड़िया तो ललनी चाहिए
शाद ही है हर जगह क्यूँ ढूंढते हो हर घड़ी
इस फिजा में भी हवा ऐसी ही चलनी चाहिए
– शाद उदयपुरी
शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल
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