हिम्मत की हौसले की वो दीवार है औरत। जो मुश्किलों को काटे वो तलवार है औरत।। पैसों के बल से क्या इसे खरीद लोगे तुम, समझा है क्या तुमने कि बाज़ार है औरत। ताकत को इसकी तुमने अभी जाना है कहाँ, तूफ़ाने ज़िन्दगी की ये पतवार है औरत। मुँह तोड़ दुश्मनों का ये देती है जवाब, ये ज़िन्दगी के जंग की हुंकार है औरत। इनके बगैर दुनिया का वजूद है कहाँ, मरियम ओ सीता फ़ातिमा क़िरदार है औरत। इनके मुक़ाबले में क्या हूकूमत करे कोई, सुल्ताना लक्ष्मीबाई सी अवतार है औरत। – डॉ नसीमा निशा डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
हिम्मत की हौसले की
हिम्मत की हौसले की वो दीवार है औरत।
जो मुश्किलों को काटे वो तलवार है औरत।।
पैसों के बल से क्या इसे खरीद लोगे तुम,
समझा है क्या तुमने कि बाज़ार है औरत।
ताकत को इसकी तुमने अभी जाना है कहाँ,
तूफ़ाने ज़िन्दगी की ये पतवार है औरत।
मुँह तोड़ दुश्मनों का ये देती है जवाब,
ये ज़िन्दगी के जंग की हुंकार है औरत।
इनके बगैर दुनिया का वजूद है कहाँ,
मरियम ओ सीता फ़ातिमा क़िरदार है औरत।
इनके मुक़ाबले में क्या हूकूमत करे कोई,
सुल्ताना लक्ष्मीबाई सी अवतार है औरत।
– डॉ नसीमा निशा
डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल
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