रखते न थे किसी का कोई दिल में डर हुसैन बातिल के सामने हुए सीना सिपर हुसैन फ़ोजे यज़ीद को किया ज़ेरो ज़बर हुसैन ये आपका है आपका क़ल्बे जिगर हुसैन राहें वफ़ा में हम भी कटा दें ये सर हुसैन हम को अता हो आपका अज़मे सफ़र हुसैन सानी नहीं है आपका दुनिया में कोई और क़ुर्बान जाऊँ आपकी मैं ज़ात पर हुसैन वो आ रहें हाथ में लेकर के ज़ुल्फ़ेक़ार ठहरो यज़ीदियों अभी लेंगे ख़बर हुसैन झुकता नहीं हूँ सामने बातिल के में कभी दिल पर हुआ है आपका ऐसा असर हुसैन हूँ आपका ग़ुलाम ये है इल्तजा मेरी बातिल झुकाना पाए कभी मेरा सर हुसैन गुलजारे दीं को ख़ून से सरसब्ज़ कर दिया अहसान है ये आपका इस्लाम पर हुसैन मिदहत हमेशा करता रहे दिल से आपकी “इरशाद” पे हो आपकी बस इक नज़र हुसैन –इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
रखते न थे किसी का कोई दिल में डर हुसैन
रखते न थे किसी का कोई दिल में डर हुसैन
बातिल के सामने हुए सीना सिपर हुसैन
फ़ोजे यज़ीद को किया ज़ेरो ज़बर हुसैन
ये आपका है आपका क़ल्बे जिगर हुसैन
राहें वफ़ा में हम भी कटा दें ये सर हुसैन
हम को अता हो आपका अज़मे सफ़र हुसैन
सानी नहीं है आपका दुनिया में कोई और
क़ुर्बान जाऊँ आपकी मैं ज़ात पर हुसैन
वो आ रहें हाथ में लेकर के ज़ुल्फ़ेक़ार
ठहरो यज़ीदियों अभी लेंगे ख़बर हुसैन
झुकता नहीं हूँ सामने बातिल के में कभी
दिल पर हुआ है आपका ऐसा असर हुसैन
हूँ आपका ग़ुलाम ये है इल्तजा मेरी
बातिल झुकाना पाए कभी मेरा सर हुसैन
गुलजारे दीं को ख़ून से सरसब्ज़ कर दिया
अहसान है ये आपका इस्लाम पर हुसैन
मिदहत हमेशा करता रहे दिल से आपकी
“इरशाद” पे हो आपकी बस इक नज़र हुसैन
–इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ
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