इरशाद अज़ीज़

इरशाद अज़ीज़

इरशाद अज़ीज़ जी बीकानेर के रहने वाले असाधारण एवं यशस्वी कवि, शायर, गज़लकार एवं रचनाकार हैं। वे हिंदी लघु नाटकों का निरंतर सृजन करते रहते हैं। उनकी गिनती हिंदुस्तान के नामचीन और उत्कृष्ट शायरों में होती है। उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से वे सम्मानित होते रहते हैं।

ऑल इंडिया व ऑल राजस्थान मुशायरों व राज्य स्तरीय कवि सम्मेलनों में उनकी सहभागिता होती रहती है। दूरदर्शन और आकाशवाणी में उनकी रचनायें समय समय पर प्रसारित होती रहती हैं। वे कुशल मंचसंचालक भी हैं और नाटकों में अभिनय भी करते हैं। कहानियाँ, गज़ल, गीत, नज़्म, मुक्तक, दोहा यानि कि हरफ़नमौला और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं। वे फ़िल्मों के लिये भी गीत लिखते हैं। स्वभाव से सरल व सौम्य हैं।

नाम: मोहम्मद इरशाद

साहित्यिक नाम: इरशाद अज़ीज़

पिता का नाम: जनाब अज़ीज़ आज़ाद साहब

जन्म: 21 जून, 1971 (बीकानेर)

साहित्य सृजन: 1990 से उर्दू व हिंदी में गद्य-पद्य लेखन

प्रकाशित कृति: ‘ज़िन्दगी खामोश कहाँ’ (ग़ज़ल संग्रह) वर्ष 2008, ‘आखरी पड़ाव तक’ (कविता संग्रह) वर्ष 2012, ‘डर है खो जाने का घर में’ (ग़ज़ल, गीत, कविता संग्रह) वर्ष 2014, ‘ये कोई तमाशा नहीं है’ (नाटक संग्रह), ‘साँसों के सिक्के’ वर्ष 2018

प्रसारण: 1990 से आकाशवाणी से रचनाओं का प्रसारण। दूरदर्शन से प्रसारित मुशायरों में भागीदारी।

मुशायरे / कवि सम्मलेन: ऑल इंडिया व ऑल राजस्थान मुशायरों व राज्य स्तरीय कवि सम्मेलनों में सहभागिता

सम्मान-पुरस्कार: वर्ष 2010 में नगर विकास न्यास, बीकानेर द्वारा अन्य भाषा (उर्दू) पुरस्कार, बीकानेर नगर निगम द्वारा ‘साहित्य सम्मान’ (2012) रवबिकजी संस्थान, बीकानेर का ‘राजकुमार भीमराज’ अवार्ड। रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) नई दिल्ली द्वारा ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’। राजस्थान प्रदेश राजीव गांधी यूथ फेडेरशन द्वारा ‘बीकानेर रत्न’ सम्मान व पुरस्कार

इरशाद अज़ीज़ जी के लिए डॉ. नसीमा निशा जी के कुछ शब्द

जनाब इरशाद अज़ीज़ जी बहुआयामी रचनाकार लेखक, शायर, गज़लकार, नज़्म, कहानीकार एव नाटककार यों कहिये कि हरफ़नमौला हैं, पारम्परिक, आधुनिक, सामाजिक, राजनीतिक साम्प्रदायिक, पारिवारिक दर्द और चिंताओं का समावेश इनकी रचनाओ में दिखाई पड़ता है। आप आला दर्जे के बेहतरीन रचनाकार के साथ-साथ बेहतरीन सौम्य व नर्मदिल धनी इंसान भी हैं।

इरशाद जी की गज़ल के एक दो शेर में देखिये कि…

बाँट कर हमने हर खुशी अपनी
फ़िर निखारी है ज़िन्दगी अपनी

हम को जीना अगर नहीं आया
कुछ कमी है तो है कमी अपनी

इसी से इनके मिज़ाज़ की सादगी का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है।

आप ज़िन्दगी के तमाम पहलुओं पर अपनी नज़र रखते हुए बड़ी शिद्दत से अपनी बात कहते हैं, जो कि पढ़ने और सुनने वालो को अपना सा महसूस होता है। अगर यों कहा जाये कि इरशाद अज़ीज़ जी ज़िन्दगी के शायर हैं तो गलत नहीं होगा वो हस्सास तबीयत के मालिक हैं।

Nasir Banarasi
इरशाद अज़ीज़ जी को समर्पित नसीर बनारसी जी की कुछ पंक्तियाँ –

मोहब्बत भाईचारा ही फैलाना काम है मेरा
हरदिल अज़ीज़ ‘इरशाद अज़ीज़’ है नाम मेरा

नसीर बनारसी

काव्य मंचों पर प्रस्तुति देते हुए

Children Welfare Society for Under Privileged Children
कवि सम्मलेन व्यवस्थापक

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