कुछ तो ऐसा रच नया, छन्द हँसै हर द्वार कवियों के दरबार से, दूर भगे भंगार छन्दों के दरबार से, जमकर कर तू प्रीत भाई तू ही देखना, द्वार हँसेंगे गीत शब्द शब्द मिलकर करें, छन्दों का निर्माण गीतों के चलते तभी, दूर-दूर तक बाण जो करता है साधना, उसको मिलती जीत वो ही कवि रचता सनम! सुन्दर सुमधुर गीत जमकर कर तू साधना, रखना थोड़ी धीर मिल जायेगा एक दिन, भाई तुझे कबीर नीरज कबीर जायसी, ले इनसे आशीष रच जायेंगे ख़ुद-ब-ख़ुद, छन्द नये जगदीश – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी के छ दोहे जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
कुछ तो ऐसा रच नया
कुछ तो ऐसा रच नया, छन्द हँसै हर द्वार
कवियों के दरबार से, दूर भगे भंगार
छन्दों के दरबार से, जमकर कर तू प्रीत
भाई तू ही देखना, द्वार हँसेंगे गीत
शब्द शब्द मिलकर करें, छन्दों का निर्माण
गीतों के चलते तभी, दूर-दूर तक बाण
जो करता है साधना, उसको मिलती जीत
वो ही कवि रचता सनम! सुन्दर सुमधुर गीत
जमकर कर तू साधना, रखना थोड़ी धीर
मिल जायेगा एक दिन, भाई तुझे कबीर
नीरज कबीर जायसी, ले इनसे आशीष
रच जायेंगे ख़ुद-ब-ख़ुद, छन्द नये जगदीश
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी के छ दोहे
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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