जो मेरा हाल पढ़ सके वो नज़र ढूँढती हूँ जो मेरे दिल में उतर सके वो बशर ढूँढती हूँ लाखों की भीड़ में हो के मुंतज़र ढूँढती हूँ इन सवालों के तलाश में जवाब-ए-असर ढूँढती हूँ – एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
जो मेरा हाल पढ़ सके
जो मेरा हाल पढ़ सके
वो नज़र ढूँढती हूँ
जो मेरे दिल में उतर सके
वो बशर ढूँढती हूँ
लाखों की भीड़ में
हो के मुंतज़र ढूँढती हूँ
इन सवालों के तलाश में
जवाब-ए-असर ढूँढती हूँ
– एकता खान
एकता खान जी की कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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