पास आकर भी फ़ासला रखना, बे मज़ा है यूँ राब्ता रखना । तुम जुदाई का दर्द क्या जानो शर्त ऐसी न बाख़ुदा रखना । बाद जाने के तेरे छोड़ दिया सामने हमने आईना रखना । यूँ इबादत सी हो गई अपनी दिल में चेहरा ये आपका रखना । भीड़ में लोग खो गए ‘निशा’ कितने पास अपने सदा पता रखना । – डॉ. नसीमा निशा डॉ. नसीमा निशा जी की जुदाई पर कविता डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
पास आकर भी फ़ासला रखना
पास आकर भी फ़ासला रखना,
बे मज़ा है यूँ राब्ता रखना ।
तुम जुदाई का दर्द क्या जानो
शर्त ऐसी न बाख़ुदा रखना ।
बाद जाने के तेरे छोड़ दिया
सामने हमने आईना रखना ।
यूँ इबादत सी हो गई अपनी
दिल में चेहरा ये आपका रखना ।
भीड़ में लोग खो गए ‘निशा’ कितने
पास अपने सदा पता रखना ।
– डॉ. नसीमा निशा
डॉ. नसीमा निशा जी की जुदाई पर कविता
डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ
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