लगा रहे कलम
हो रहा कृत्रिम गर्भाधान
पैदा करने उन्नत बीज – फल
वर्ण संकर के जानवर
परिणाम अधिक उत्पादन
अधिक पैदावार
हम कहते हैं
विकास – आर्थिक उन्नति
अनजाने – अनचाहे
हम खो रहे
अपना मूल
अपनी पहचान
अपनी खुशबू
अपनी औषधी
अपनी अमृत कलश
जुटा रहे पेट भरने का सामान
पा रहे लाइलाज बीमारी
जहरीला वातावरण
लगा रहे कलम
लगा रहे कलम
हो रहा कृत्रिम गर्भाधान
पैदा करने उन्नत बीज – फल
वर्ण संकर के जानवर
परिणाम अधिक उत्पादन
अधिक पैदावार
हम कहते हैं
विकास – आर्थिक उन्नति
अनजाने – अनचाहे
हम खो रहे
अपना मूल
अपनी पहचान
अपनी खुशबू
अपनी औषधी
अपनी अमृत कलश
जुटा रहे पेट भरने का सामान
पा रहे लाइलाज बीमारी
जहरीला वातावरण
–एस डी मठपाल
एस डी मठपाल जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें