करने को तो कर गया सबसे दो दो हाथ भाई ! अब तू चाहता सब दें तेरा साथ दुर्गुण सारे छोड़ दे सदगुण से कर प्यार रब आयेगा देखना चलकर तेरे दवार साथ उसका दिया नहीं समय पड़ा जब मीत अब तू उससे चाहता तेरे गाये गीत दूर न जा कुछ पास आ कर ले अब तो प्यार फागुन के दिन चार ये कर जीवन गुलजार कूक रही कोयल सनम भ्रमर करे गुंजार कोंपल फूटीं डाल पर मदमाया कचनार झिलमिल झिलमिल हँस रही क्या फागुन की धूप ठुमक ठुमक गोरी चली ताक रहे सब रूप मुस्काया फागुन सनम खिले चमली फूल साफ करो मतभेद की अब तो हिय से – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
करने को तो कर गया
करने को तो कर गया सबसे दो दो हाथ
भाई ! अब तू चाहता सब दें तेरा साथ
दुर्गुण सारे छोड़ दे सदगुण से कर प्यार
रब आयेगा देखना चलकर तेरे दवार
साथ उसका दिया नहीं समय पड़ा जब मीत
अब तू उससे चाहता तेरे गाये गीत
दूर न जा कुछ पास आ कर ले अब तो प्यार
फागुन के दिन चार ये कर जीवन गुलजार
कूक रही कोयल सनम भ्रमर करे गुंजार
कोंपल फूटीं डाल पर मदमाया कचनार
झिलमिल झिलमिल हँस रही क्या फागुन की धूप
ठुमक ठुमक गोरी चली ताक रहे सब रूप
मुस्काया फागुन सनम खिले चमली फूल
साफ करो मतभेद की अब तो हिय से
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें