ख़ुद भी जलते रहे और जलाते रहे कैसे कैसे वो दिल को दुखाते रहे लुत्फ़ जीने का हम तो उठाते रहे दर्द सहते रहे मुस्कुराते रहे ग़म से रौशन हुआ है ये चेहरा मेरा लोग तो क्या क्या बातें बनाते रहे कितना आसां था वो ज़िन्दगी का सफ़र जब ग़ज़ल याद की गुनगुनाते रहे सो गया जब भी यादों की आग़ोश में लाख़ मंज़र हंसी दिल लूभाते रहे इस ज़मीं पे जिन्हें रहना आता नहीं आसमां सर पे वो ही उठाते रहे उनके दिल में भी शायद कोई बात थी देख ‘इरशाद’ को मुस्कूराते रहे – इरशादअज़ीज़ टूटे दिल की ग़ज़ल हिंदी में [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
ख़ुद भी जलते रहे और जलाते रहे
ख़ुद भी जलते रहे और जलाते रहे
कैसे कैसे वो दिल को दुखाते रहे
लुत्फ़ जीने का हम तो उठाते रहे
दर्द सहते रहे मुस्कुराते रहे
ग़म से रौशन हुआ है ये चेहरा मेरा
लोग तो क्या क्या बातें बनाते रहे
कितना आसां था वो ज़िन्दगी का सफ़र
जब ग़ज़ल याद की गुनगुनाते रहे
सो गया जब भी यादों की आग़ोश में
लाख़ मंज़र हंसी दिल लूभाते रहे
इस ज़मीं पे जिन्हें रहना आता नहीं
आसमां सर पे वो ही उठाते रहे
उनके दिल में भी शायद कोई बात थी
देख ‘इरशाद’ को मुस्कूराते रहे
– इरशादअज़ीज़
टूटे दिल की ग़ज़ल हिंदी में
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