हर व्यक्ति को समझाइये लहू का रंग एक है, मत भेदभाव बढ़ाईये लहू का रंग एक है इंसान को इंसान से जो बाँट रही है , दीवार वह गिराइये लहू का रंग एक है –नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की कविता मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
हर व्यक्ति को समझाइये
हर व्यक्ति को समझाइये
लहू का रंग एक है,
मत भेदभाव बढ़ाईये
लहू का रंग एक है
इंसान को इंसान से जो
बाँट रही है ,
दीवार वह गिराइये
लहू का रंग एक है
–नसीर बनारसी
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की कविता
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ
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