छोटा कद पर सोच बड़ी थी तेज सूर्य का चमके भाल। भारत माँ के गौरव थे वो कहलाये गुदड़ी के लाल।। कुर्ता धोती गाँधी टोपी यही रही उनकी पहचान। सादा जीवन सदा बिताए कौन यहाँ उनसे अनजान।। पले गरीबी में वो लेकिन नई बनाई अपनी राह। मिली चुनौती पग पग उनको रहे मगर वो बेपरवाह।। सबसे ऊँचे पद पर पहुँचे जागा हिय में ना अभिमान। जय जवान कह शौर्य जगाया उनको प्यारे लगे किसान।। जन्म जयंती पर हम उनके करें नमन मिल शीष झुकाय। शब्द भाव से भरे हुए ये अर्पण करते ध्यान लगाय।। – अवधेश कुमार रजत अवधेश कुमार 'रजत' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
लाल बहादुर शास्त्री जी पर कविता
छोटा कद पर सोच बड़ी थी
तेज सूर्य का चमके भाल।
भारत माँ के गौरव थे वो
कहलाये गुदड़ी के लाल।।
कुर्ता धोती गाँधी टोपी
यही रही उनकी पहचान।
सादा जीवन सदा बिताए
कौन यहाँ उनसे अनजान।।
पले गरीबी में वो लेकिन
नई बनाई अपनी राह।
मिली चुनौती पग पग उनको
रहे मगर वो बेपरवाह।।
सबसे ऊँचे पद पर पहुँचे
जागा हिय में ना अभिमान।
जय जवान कह शौर्य जगाया
उनको प्यारे लगे किसान।।
जन्म जयंती पर हम उनके
करें नमन मिल शीष झुकाय।
शब्द भाव से भरे हुए ये
अर्पण करते ध्यान लगाय।।
– अवधेश कुमार रजत
अवधेश कुमार 'रजत' जी की रचनाएँ
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One reply to “लाल बहादुर शास्त्री जी पर कविता”
Yashoda
उम्दा लेखनी के लिए बधाई!