मेघा रे मेघा, तु जम के बरस जा रे प्यासी धरती को भीगो के जा रे। रीते है सभी देख ताल-तलैया रे सुखे पडे सभी खेत-बगियाँ रे। तु सबकी प्यास अब बूझा जा रे मेघा……. सबके मन में आस जग गई रे बदली नभ में ठहर गई रे। उमड़ घूमड कर तु बरस जा रे मेघा रे……… नाचे मोर और गाए पपीहा रे कोयल की मधुर तान सुन ले रे वृक्ष, लताए झुमे, हर्षाए रे आजा तु बरस बरस जा रे मेघा रे …….. हेमा का मन मयुर नाच रहा रे बूँद बूँद से तन भीग भीग रहा रे प्रेम रंग का तु नीर बरसा जा रे मेघा रे मेघा…….. – हेमा उदयपुरी हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मेघा रे मेघा
मेघा रे मेघा, तु जम के बरस जा रे
प्यासी धरती को भीगो के जा रे।
रीते है सभी देख ताल-तलैया रे
सुखे पडे सभी खेत-बगियाँ रे।
तु सबकी प्यास अब बूझा जा रे
मेघा…….
सबके मन में आस जग गई रे
बदली नभ में ठहर गई रे।
उमड़ घूमड कर तु बरस जा रे
मेघा रे………
नाचे मोर और गाए पपीहा रे
कोयल की मधुर तान सुन ले रे
वृक्ष, लताए झुमे, हर्षाए रे
आजा तु बरस बरस जा रे
मेघा रे ……..
हेमा का मन मयुर नाच रहा रे
बूँद बूँद से तन भीग भीग रहा रे
प्रेम रंग का तु नीर बरसा जा रे
मेघा रे मेघा……..
– हेमा उदयपुरी
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ
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