मैं करूँगा इंतज़ार हो सके तो लौट आ दिल हुआ है बेक़रार हो सके तो लौट आ जो लगे इल्ज़ाम नाम पर मिरे सब झूठ हैं मैं नहीं हूँ गुनहगार हो सके तो लौट आ रूठ कर यूँ बे हिसाब हो रहा है क्यूँ ख़फ़ा भूल जा अब जीत हार हो सके तो लौट आ ज़िन्दगी दुशवार यार हो गई है बिन तिरे अब करूंगा खूब प्यार हो सके तो लौट आ – शाद उदयपुरी शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल शाद उदयपुरी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मैं करूँगा इंतज़ार
मैं करूँगा इंतज़ार हो सके तो लौट आ
दिल हुआ है बेक़रार हो सके तो लौट आ
जो लगे इल्ज़ाम नाम पर मिरे सब झूठ हैं
मैं नहीं हूँ गुनहगार हो सके तो लौट आ
रूठ कर यूँ बे हिसाब हो रहा है क्यूँ ख़फ़ा
भूल जा अब जीत हार हो सके तो लौट आ
ज़िन्दगी दुशवार यार हो गई है बिन तिरे
अब करूंगा खूब प्यार हो सके तो लौट आ
– शाद उदयपुरी
शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल
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