कैसे कहें किससे कहें नारी के जीवन की कथा ।
यह प्रश्न जब कोई उठाती लोग लेते अन्यथा ।
कोई भी तो नही है इसकी व्यथा सुनने वाला ।
यदि सुन भी ले तो कौन यहां गुनने वाला ।
वह कह रही है कब से अपने दिल का हाल ।
कोई भी तो होता हल करता यक्ष सवाल ।
धारण किए धैर्य है नारी जैसे धरती का सीना ।
मी टू का प्रश्न उठाकर सीख लिया निर्भय जीना ।
कैसे कहें किससे कहें नारी के जीवन की कथा
कैसे कहें किससे कहें नारी के जीवन की कथा ।
यह प्रश्न जब कोई उठाती लोग लेते अन्यथा ।
कोई भी तो नही है इसकी व्यथा सुनने वाला ।
यदि सुन भी ले तो कौन यहां गुनने वाला ।
वह कह रही है कब से अपने दिल का हाल ।
कोई भी तो होता हल करता यक्ष सवाल ।
धारण किए धैर्य है नारी जैसे धरती का सीना ।
मी टू का प्रश्न उठाकर सीख लिया निर्भय जीना ।
–नसीर बनारसी
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की कविता
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ
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