मेरी वीरान सी ज़िंदगी में था सदियों का सूनापन कुछ अधूरे रिश्ते थे कुछ अधूरी ख़्वाहिशें थी हज़ारों अंधेरी रातों के बाद हुआ हो जैसे नया सवेरा आप आए ज़िंदगी में ऐसे बारिश सूखी ज़मीं पे जैसे –एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मेरी वीरान सी ज़िंदगी में
मेरी वीरान सी ज़िंदगी में
था सदियों का सूनापन
कुछ अधूरे रिश्ते थे
कुछ अधूरी ख़्वाहिशें थी
हज़ारों अंधेरी रातों के बाद
हुआ हो जैसे नया सवेरा
आप आए ज़िंदगी में ऐसे
बारिश सूखी ज़मीं पे जैसे
–एकता खान
एकता खान जी की कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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