नेता कब क्या सोचते, करते क्या व्यवहार। मुश्किल इनको समझना,लीला अपरम्पार।। लीला अपरम्पार, एक थैली के चट्टे। लोकतन्त्र के दाँत सदा कर देते खट्टे।। अवध रचाकर स्वांग हमेशा रहते जेता। गिरगिट के भी बाप, हमारे देशी नेता।। – अवधेश कुमार ‘अवध’ अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
नेता कब क्या सोचते
नेता कब क्या सोचते, करते क्या व्यवहार।
मुश्किल इनको समझना,लीला अपरम्पार।।
लीला अपरम्पार, एक थैली के चट्टे।
लोकतन्त्र के दाँत सदा कर देते खट्टे।।
अवध रचाकर स्वांग हमेशा रहते जेता।
गिरगिट के भी बाप, हमारे देशी नेता।।
– अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता
अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें