ना मंज़िल है कोई ना कोई कारवाँ बढ़े चले जा रहे हैं, रुकेंगे कहाँ कुछ पल बचा लो अपनो के लिए जो देखोगे पलट के, ये मिलेंगे कहाँ वक़्त का तक़ाज़ा कहता है यही जो बीत गये पल, फिर आएँगे कहाँ आओ इस पल को यादगार बना लें जो बातें होंगी अभी, फिर करेंगे कहाँ हम भागते रहे माया के लिए हर जगह सुख जो परिवार में है, वो मिलेगा कहाँ – शाद उदयपुरी ‘शाद’ जी की नई रचनाओं को पढ़ने के लिए यहाँ फॉलो करें परिवार पर कविता हिंदी में [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
सुख जो परिवार में है, वो मिलेगा कहाँ
ना मंज़िल है कोई ना कोई कारवाँ
बढ़े चले जा रहे हैं, रुकेंगे कहाँ
कुछ पल बचा लो अपनो के लिए
जो देखोगे पलट के, ये मिलेंगे कहाँ
वक़्त का तक़ाज़ा कहता है यही
जो बीत गये पल, फिर आएँगे कहाँ
आओ इस पल को यादगार बना लें
जो बातें होंगी अभी, फिर करेंगे कहाँ
हम भागते रहे माया के लिए हर जगह
सुख जो परिवार में है, वो मिलेगा कहाँ
– शाद उदयपुरी
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