कायर देश की कायरता देखो , छिपकर करता है वार देखो । सिंह के सामने डरकर भागता, सोते शेर पर करता वार देखो। लहू के उसके बसी गद्दारी है, रग-रग मे जिसके मक्कारी है। नापाक है वो देश इस जमीं पर, वो एक दरिंदा,और अत्याचारी है। उसकी माटी गुनाह उपजती , वीर नही सिर्फ शैतान जन्मती। खूँखार,जंगली,दहशदत गर्दी, ऐसी एक नस्ल पैदाइश करती। मानवता से कोसो दूर है वो, अधर्मी,पापी ,षडंयत कारी है वो अपनी कब्र खुद खोदकर बैठा वो मिटेगा हिन्द के हाथ एक दिन वो। “हेमा” वो दंड के लायक है, एक बड़ा खलनायक है। मिटा दो नामो निशान उसका, वो बड़ी सजा का दायक है। – हेमलता पालीवाल “हेमा” हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
वो एक कायर देश।
कायर देश की कायरता देखो ,
छिपकर करता है वार देखो ।
सिंह के सामने डरकर भागता,
सोते शेर पर करता वार देखो।
लहू के उसके बसी गद्दारी है,
रग-रग मे जिसके मक्कारी है।
नापाक है वो देश इस जमीं पर,
वो एक दरिंदा,और अत्याचारी है।
उसकी माटी गुनाह उपजती ,
वीर नही सिर्फ शैतान जन्मती।
खूँखार,जंगली,दहशदत गर्दी,
ऐसी एक नस्ल पैदाइश करती।
मानवता से कोसो दूर है वो,
अधर्मी,पापी ,षडंयत कारी है वो
अपनी कब्र खुद खोदकर बैठा वो
मिटेगा हिन्द के हाथ एक दिन वो।
“हेमा” वो दंड के लायक है,
एक बड़ा खलनायक है।
मिटा दो नामो निशान उसका,
वो बड़ी सजा का दायक है।
– हेमलता पालीवाल “हेमा”
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ
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