मैं नींद भर सो नहीं सकता आँखों की नींद कहीं दूर किसी कोने में जा छिपी है जिसे खोजते-खोजते सिर चकराने लगा है दिमाग भी निष्क्रियता की और जाने लगा है हड़ताली मजदूर की तरह काम बन्द करके बैठ गया है तबीयत बेचैन सी हो गयी है शांति, कहीं खो गयी है | –गोविन्द व्यथित गोविन्द व्यथित जी की कविता गोविन्द व्यथित जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मैं नींद भर सो नहीं सकता
मैं नींद भर
सो नहीं सकता
आँखों की नींद
कहीं दूर
किसी कोने में
जा छिपी है
जिसे खोजते-खोजते
सिर चकराने लगा है
दिमाग भी
निष्क्रियता की और
जाने लगा है
हड़ताली मजदूर की तरह
काम बन्द करके बैठ गया है
तबीयत
बेचैन सी हो गयी है
शांति, कहीं खो गयी है |
–गोविन्द व्यथित
गोविन्द व्यथित जी की कविता
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