इन वादियों में अपनी सदा छोड़ जाऊंगा । फूले फले गुलशन ये दुआ छोड़ जाऊंगा । सजती रहे ये महफ़िल मेरे बाद भी यूँ हीं , शेरो सुख़न का वो सिलसिला छोड़ जाऊंगा । यूँ हीं नहीं जाऊंगा सुनों देर ए फ़ानी से , जाते हुवे मन्ज़िल का पता छोड़ जाऊंगा । रँजूर हो जाएगी छलक छलक कर मीना , जिस रोज़ भी तेरा मयकदा छोड़ जाऊंगा जो मुफ़लिसी में रहकर लगी बादशाहों सी , इक़बाल जीने की वो अदा छोड़ जाऊंगा । – इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी की शायरों की महफ़िल पर कविता इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
इन वादियों में अपनी सदा छोड़ जाऊंगा
इन वादियों में अपनी सदा छोड़ जाऊंगा ।
फूले फले गुलशन ये दुआ छोड़ जाऊंगा ।
सजती रहे ये महफ़िल मेरे बाद भी यूँ हीं ,
शेरो सुख़न का वो सिलसिला छोड़ जाऊंगा ।
यूँ हीं नहीं जाऊंगा सुनों देर ए फ़ानी से ,
जाते हुवे मन्ज़िल का पता छोड़ जाऊंगा ।
रँजूर हो जाएगी छलक छलक कर मीना ,
जिस रोज़ भी तेरा मयकदा छोड़ जाऊंगा
जो मुफ़लिसी में रहकर लगी बादशाहों सी ,
इक़बाल जीने की वो अदा छोड़ जाऊंगा ।
– इक़बाल हुसैन इक़बाल
इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी की शायरों की महफ़िल पर कविता
इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
One reply to “इन वादियों में अपनी सदा छोड़ जाऊंगा”
Renu
अत्यंत भाव-पूर्ण और उत्कृष्ट गजल। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!