सोचिए बंधुवर सोचिये किस तरह आज कोई जिये । जो अंधेरा मिटाने चले बुझ गये वो दिये किसलिये । ज़ख्म से कोई खाली नही फिर जख्मो को कौन सिये । सोचिए बंधुवर सोचिये । बह चली त्रासदी की लहर । रोकिए रोकिए रोकिये । सोचिए बंधुवर सोचिये । किस तरह आज कोई जिये । दिल से दिल मिल सकेंगे ‘नसीर ‘ हाथ के असलहे फेंकिये l फेंकिये फेंकिये फेंकिये सोचिए बंधुवर सोचिये । किस तरह आज कोई जिये । –नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
सोचिए बंधुवर सोचिये
सोचिए बंधुवर सोचिये
किस तरह आज कोई जिये ।
जो अंधेरा मिटाने चले
बुझ गये वो दिये किसलिये ।
ज़ख्म से कोई खाली नही
फिर जख्मो को कौन सिये ।
सोचिए बंधुवर सोचिये ।
बह चली त्रासदी की लहर ।
रोकिए रोकिए रोकिये ।
सोचिए बंधुवर सोचिये ।
किस तरह आज कोई जिये ।
दिल से दिल मिल सकेंगे ‘नसीर ‘
हाथ के असलहे फेंकिये l
फेंकिये फेंकिये फेंकिये
सोचिए बंधुवर सोचिये ।
किस तरह आज कोई जिये ।
–नसीर बनारसी
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ
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