सूरज की किरणें हंसी हँसने लगा पलास देख धरा का रूप ये नाच रहा आकाश छम छम छम पायल बजी गोरी की जब आज फगुन नाचा झूम के बजे संग सब साज गौरी का यौवन हँसा हँसने लगे विचार नींद न आयी रात भर खुला रहा हिय दवार खोल दिया जब दवार तो बजा जोर से चंग गोरी दौड़ी आयेगी, मल देना मुख रंग होरी का दिन आज है पी ले थोड़ी भंग फिर गोरी के घर चलें वहीं करें हुड़दंग ठुमक ठुमक गोरी चले उड़े अबीर गुलाल सीमाएं सब लांघ कर छोरे करें धमाल लाल गुलाबी चुनरी मन मेरा भटकाय ठुमक ठुमक गोरी चले हिय में आग लगाय – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
सूरज की किरणें
सूरज की किरणें हंसी हँसने लगा पलास
देख धरा का रूप ये नाच रहा आकाश
छम छम छम पायल बजी गोरी की जब आज
फगुन नाचा झूम के बजे संग सब साज
गौरी का यौवन हँसा हँसने लगे विचार
नींद न आयी रात भर खुला रहा हिय दवार
खोल दिया जब दवार तो बजा जोर से चंग
गोरी दौड़ी आयेगी, मल देना मुख रंग
होरी का दिन आज है पी ले थोड़ी भंग
फिर गोरी के घर चलें वहीं करें हुड़दंग
ठुमक ठुमक गोरी चले उड़े अबीर गुलाल
सीमाएं सब लांघ कर छोरे करें धमाल
लाल गुलाबी चुनरी मन मेरा भटकाय
ठुमक ठुमक गोरी चले हिय में आग लगाय
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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