तबियत कुछ लाजवाब पीना चाहे ये क्या खाना खराब पीना चाहे न पैमाना न हद हो मैख़ाने की ये तो बस बे हिसाब पीना चाहे मदहोशी न सुरूर ना बे खबरी दिल जामे इन्कलाब पीना चाहे कोई पहरा कैसे रोके उसको शबनम को गर गुलाब पीना चाहे दुनिया पीती शराब इक मैं ऐसा जिसको कि खुद शराब पीना चाहे – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
तबियत कुछ लाजवाब पीना चाहे
तबियत कुछ लाजवाब पीना चाहे
ये क्या खाना खराब पीना चाहे
न पैमाना न हद हो मैख़ाने की
ये तो बस बे हिसाब पीना चाहे
मदहोशी न सुरूर ना बे खबरी
दिल जामे इन्कलाब पीना चाहे
कोई पहरा कैसे रोके उसको
शबनम को गर गुलाब पीना चाहे
दुनिया पीती शराब इक मैं ऐसा
जिसको कि खुद शराब पीना चाहे
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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