यह कैसी विडम्बना होगी कि अंधों की जमात में शामिल होने के लिए तुम्हें भी अपनी आँखों फोड़नी होंगी अपंगों [...]
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यह कैसी विडम्बना होगी कि
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गुरूदेव का अभिनन्दन और स्वागत-सत्कार
गुरूदेव का अभिनन्दन और स्वागत-सत्कार पहनाकर जूतों का हार नंगे पाँव परेड कराना छात्रों की एक आम सभा बुलाना स्वागत [...] More -
मैं नींद भर सो नहीं सकता
मैं नींद भर सो नहीं सकता आँखों की नींद कहीं दूर किसी कोने में जा छिपी है जिसे खोजते-खोजते सिर [...] More -
अभी तो लंका दहन भी शेष है
अभी तो लंका दहन भी शेष है पहले इसको होना है हनुमान की बढ़ती हुई पूँछ को किरासिन तेल, डीजल [...] More -
सर्कस का सातवाँ बौना
सर्कस का सातवाँ बौना दिखाता था अच्छे-अच्छे खेल यों तो सर्कस में कुछ मिलाकर थे आठ बौने लेकिन उसके आगे [...] More -
लाल-लाल आँखों से अपलक घूरता
लाल-लाल आँखों से अपलक घूरता स्टेशन का आउटर सिगनल किसी गाड़ी के आने की सूचना पाते ही चौकस होकर हरा [...] More -
मेरे होंठ कड़वा से कड़वा घूंट पीकर भी
मेरे होंठ कड़वा से कड़वा घूंट पीकर भी शान्ति का नाम लेते हैं | मेरी आँखें सब कुछ देखते हुए [...] More -
कहना यह है की……छोड़िये
कहना यह है की...... छोड़िये चापलूसी, चमचागिरी अलंकारिक भाषणों की नेतागिरी मात्र बातों से काम नहीं चल सकता समस्याओं का [...] More -
उस रोज उगने के साथ ही
उस रोज उगने के साथ ही सूरज, अचानक फ्यूज हो गया अपने आस-पास घिरे अंधेरों से तंग आकर मैं ढूँढने [...] More