Tag Archives: इरशाद अज़ीज़

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  • सूरज की दरकार

    तुम्हारी छटपटाहट देखी नहीं जाती मुझसे गुजरे वक़्त ने जो तुम पर जुल्म ढाए उन सब का बदला मैजूदा वक़्त [...] More
  • एक हुनर पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    उसकी ख़ामोशी पे

    उसकी ख़ामोशी पे कविता गीत ग़ज़ल कैसे लिखूं न जाने क्या-क्या है उसके दिल में मैं आख़िर सोचूं भी तो [...] More
  • काबिल होने पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    सुनो हां…तुम

    सुनो! हां...तुम मैं तुम से ही मुख़ातिब हूं तुम्हारी मुस्कराहट में जो दर्द छुपा है उसका कुछ हिस्सा मुझे दे [...] More
  • वह चुप रहती है

    वह चुप रहती है तो बोलती हैं उसकी आंखें सुनाती हैं अनकहे किस्से-कहानियां जो उसके मन ने कही उसने सुनी [...] More
  • तुम्हारी आंखों में

    तुम्हारी आंखों में मैं अपने ख़्वाबों के गुलशन सजाता हूं कहो ख़ामोश क्यूं हो तुम भी तो मेरे ख़्वाब देखती [...] More
  • तुम्हारा मौन

    तुम्हारा मौन उसकी मुस्कराहट के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान है या फिर ख़ुद की हक़ीकत जानने के बाद का गुस्सा [...] More
  • औरत की ज़िंदगी पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    तुम धरती हो

    तुम धरती हो रचती हो आसमान के सपने बुझाती हो उसकी प्यास तुम्हारे ही दम से जगमगा उठते हैं उसके [...] More
  • बदलते समय के साथ

    बदलते समय के साथ तुम्हें भी बदलना होगा तोड़ने होंगे अपने मन के सदियों से बन्द दम घोटते उन रिवाज़ों [...] More
  • दिल की बात पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    वह नहीं बुलाता है

    वह नहीं बुलाता है तो जाते ही क्यूं हो उसके सामने और जब जाते हो तो शिकायत कैसी वह कुछ [...] More
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