तुम्हारी छटपटाहट देखी नहीं जाती मुझसे गुजरे वक़्त ने जो तुम पर जुल्म ढाए उन सब का बदला मैजूदा वक़्त [...]
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सूरज की दरकार
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उसकी ख़ामोशी पे
उसकी ख़ामोशी पे कविता गीत ग़ज़ल कैसे लिखूं न जाने क्या-क्या है उसके दिल में मैं आख़िर सोचूं भी तो [...] More -
सुनो हां…तुम
सुनो! हां...तुम मैं तुम से ही मुख़ातिब हूं तुम्हारी मुस्कराहट में जो दर्द छुपा है उसका कुछ हिस्सा मुझे दे [...] More -
वह चुप रहती है
वह चुप रहती है तो बोलती हैं उसकी आंखें सुनाती हैं अनकहे किस्से-कहानियां जो उसके मन ने कही उसने सुनी [...] More -
तुम्हारी आंखों में
तुम्हारी आंखों में मैं अपने ख़्वाबों के गुलशन सजाता हूं कहो ख़ामोश क्यूं हो तुम भी तो मेरे ख़्वाब देखती [...] More -
तुम्हारा मौन
तुम्हारा मौन उसकी मुस्कराहट के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान है या फिर ख़ुद की हक़ीकत जानने के बाद का गुस्सा [...] More -
तुम धरती हो
तुम धरती हो रचती हो आसमान के सपने बुझाती हो उसकी प्यास तुम्हारे ही दम से जगमगा उठते हैं उसके [...] More -
बदलते समय के साथ
बदलते समय के साथ तुम्हें भी बदलना होगा तोड़ने होंगे अपने मन के सदियों से बन्द दम घोटते उन रिवाज़ों [...] More -
वह नहीं बुलाता है
वह नहीं बुलाता है तो जाते ही क्यूं हो उसके सामने और जब जाते हो तो शिकायत कैसी वह कुछ [...] More