भूल गए राह श्याम, जपती है साँस नाम। विरह व्यथा गई चीर, हरो नाथ विकट पीर।। बंशी की लुप्त तान, [...]
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जीवन पर व्यंग
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कौन कहता कि रो रही आँखें
कौन कहता कि रो रही आँखें। देख लो दाग धो रही आँखें।। ठेस दिल को लगा गया मेरे, बेवफा बोझ [...] More -
सत्ता की चाभी लिए
सत्ता की चाभी लिए, मतदाता लाचार। लोकतंत्र की आड़ में, सजा हुआ बाजार।। नारों वादों का चले, रजत सियासी तीर। [...] More -
आन बान शान कम देश की न होने पाए
आन बान शान कम देश की न होने पाए, शौर्य वीरता के अहसास को जगाइये। देशद्रोहियों के लिए नरमी जो [...] More -
तन मन धन पर उसका ही राज चले
तन मन धन पर उसका ही राज चले, हर एक मसले में ही दखल देती है। नून तेल लकड़ी में [...] More -
लाल बहादुर शास्त्री जी पर कविता
छोटा कद पर सोच बड़ी थी तेज सूर्य का चमके भाल। भारत माँ के गौरव थे वो कहलाये गुदड़ी के [...] More -
नयनों में आपके ही डूब हम जीने लगे
नयनों में आपके ही डूब हम जीने लगे, मदहोशी दुनिया की पीछे छोड़ आये हैं। जीत हार का कोई सताए [...] More