इस चमन की सुमन खिलते रहें सुख दुःख में हम मिलते रहें लाख कोशिश करे हमें तोड़ने की हम जुड़े हुवे हम जुड़ते रहें इंद्रधनुषी रंग छाते रहें खुशियों के गीत गाते रहें लहू के रंग फैलायें न कोई हम जगे हुवे हम जगते रहें पक्षियों का कलरव गूंजता रहे पर्वतों को गगन चूमता रहे आँधियाँ चाहे चले जोर से हम अडिग हुवे हम अडिग रहें झरने कल कल झरते रहें विकास पथ पर बढ़ते रहें भूल से भी न रोके कोई हम अजये विजयी रहें हिम शिखर चमकते रहें सागर पर लहरें मचलती रहें आ जाए चाहे बर्फीली हवा जोशीले थे जोशीले रहें तिरंगा हमारा लहराता रहे राष्ट्र गान भाता रहे कुदृष्टि न जाने कोई स्वाभिमानी हम स्वाभिमानी रहें ईद दिवाली मनाया करें हो अजान शंख बजाया करें हरी ॐ गूंजे ब्रह्माण्ड में हम शांति पंछी शांति फैलाया करे – एस डी मठपाल [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
इस चमन की सुमन खिलते रहें
इस चमन की सुमन खिलते रहें
सुख दुःख में हम मिलते रहें
लाख कोशिश करे हमें तोड़ने की
हम जुड़े हुवे हम जुड़ते रहें
इंद्रधनुषी रंग छाते रहें
खुशियों के गीत गाते रहें
लहू के रंग फैलायें न कोई
हम जगे हुवे हम जगते रहें
पक्षियों का कलरव गूंजता रहे
पर्वतों को गगन चूमता रहे
आँधियाँ चाहे चले जोर से
हम अडिग हुवे हम अडिग रहें
झरने कल कल झरते रहें
विकास पथ पर बढ़ते रहें
भूल से भी न रोके कोई
हम अजये विजयी रहें
हिम शिखर चमकते रहें
सागर पर लहरें मचलती रहें
आ जाए चाहे बर्फीली हवा
जोशीले थे जोशीले रहें
तिरंगा हमारा लहराता रहे
राष्ट्र गान भाता रहे
कुदृष्टि न जाने कोई
स्वाभिमानी हम स्वाभिमानी रहें
ईद दिवाली मनाया करें
हो अजान शंख बजाया करें
हरी ॐ गूंजे ब्रह्माण्ड में
हम शांति पंछी शांति फैलाया करे
– एस डी मठपाल
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें